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Odisha

*ओडिशा में अनिश्चितकालीन हड़ताल 20 को*

19-Oct-2023

भुवनेश्वर (शोर संदेश)।20 से ओडिशा में अनिश्चितकालीन हड़ताल, प्राइवेट बस ओनर्स एसोसिएशन ने दी चेतावनी . एसोसिएशन के सचिव देबेंद्र साहू और कोषाध्यक्ष बरदा आचार्य ने कहा कि हड़ताल शुरू करने का उनका निर्णय राज्य सरकार द्वारा आश्वासन के कथित उल्लंघन के बाद आया है। ऑल ओडिशा प्राइवेट बस ओनर्स एसोसिएशन (एओपीबीओए) ने 20 अक्टूबर, 2023 से शुरू होने वाली अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की है। यह हड़ताल लोकेशन एक्सेसिबल मल्टीमॉडल इनिशिएटिव (LAccMI) योजना और मो बस सेवाओं की शुरूआत के विरोध में है। ग्रामीण इलाकों। एक प्रेस विज्ञप्ति में, एसोसिएशन के सचिव देबेंद्र साहू और कोषाध्यक्ष बरदा आचार्य ने कहा कि हड़ताल शुरू करने का उनका निर्णय राज्य सरकार द्वारा आश्वासन के कथित उल्लंघन के बाद आया है। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक के साथ हाल ही में एक चर्चा के दौरान, सरकार ने कथित तौर पर LAccMI योजना के तहत ब्लॉकों से जिला मुख्यालयों तक बसें नहीं चलाने का वादा किया था, इसके बजाय पंचायतों से ब्लॉकों तक सेवाओं का विकल्प चुना था। एओपीबीओए का आरोप है कि सरकार अपनी प्रतिबद्धता को कायम रखने में विफल रही है, जिसके कारण यह कठोर कार्रवाई हुई है। इसके अतिरिक्त, एसोसिएशन ने अपने व्यवसायों पर हानिकारक प्रभावों का हवाला देते हुए, ग्रामीण क्षेत्रों में मो बस सेवाओं की शुरुआत पर कड़ा विरोध व्यक्त किया है। उन्होंने तब तक हड़ताल जारी रखने की कसम खाई है जब तक सरकार उनकी चिंताओं को दूर करने के लिए कदम नहीं उठाती। आसन्न हड़ताल ने क्षेत्र में सार्वजनिक परिवहन और यात्रियों पर इसके संभावित प्रभाव के बारे में चिंताएँ बढ़ा दी हैं। एओपीबीओए ने मौजूदा मुद्दों को हल करने और यात्रियों और बस उद्योग के लिए हड़ताल के हानिकारक परिणामों को रोकने के लिए सरकार के साथ तत्काल बातचीत का आह्वान किया है। हड़ताल के संबंध में विस्तृत जानकारी की प्रतीक्षा है।

 

 


*सड़क दुर्घटना में 3 छात्रों की मौत, घर में मचा कोहराम*

09-Oct-2023

भुवनेश्वर (शोर संदेश)।ओडिशा के अंगुल और बलांगीर जिलों में दो अलग-अलग सड़क दुर्घटनाओं में रविवार को सुबह की सैर पर निकले तीन छात्रों की मौत हो गई। मृतकों की पहचान अंगुल जिले के पल्लाहरा के राजेश सुंधी और माधब कुमार समद, तथा बोलांगीर जिले के पुरुषोत्तम भोई के रूप में हुई है। स्थानीय सूत्रों ने कहा, “मृतक दोस्त राजेश और माधब रोजाना सुबह नेशनल हाईवे पर टहलने जाते थे। सुबह छह बजे मुक्तापुर गांव के पास एक तेज रफ्तार वाहन ने उन्हें टक्कर मार दी। चालक दोनों को खून से लथपथ हालत में छोड़कर वाहन लेकर मौके से भाग गया।” पुलिस उन्हें पास के अस्पताल ले गई जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। पल्लाहारा पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। इसी तरह, 17 वर्षीय पुरुषोत्तम अपने चार दोस्तों के साथ रविवार तड़के पटनागढ़-बोलांगीर राज्य राजमार्ग पर टहल रहा था। तभी विपरीत दिशा से आ रही एक वैन ने गेंडाबंजी गांव में उसे टक्कर मार दी। आदिवासी छात्र पुरुषोत्तम की दु:खद मौत से स्थानीय लोग नाराज हो गए और उन्होंने वैन के फरार चालक की गिरफ्तारी और मृतक के लिए मुआवजे की मांग को लेकर नाकाबंदी कर दी। जिला प्रशासन और स्थानीय पुलिस द्वारा दोषी चालक के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिए जाने के बाद गुस्साए ग्रामीणों ने जाम हटाया।


*रेल मंत्री वैष्णव तीन दिन की यात्रा पर जाएंगे ओडिशा, बालासोर दुर्घटनास्थल का करेंगे दौरा*

19-Jun-2023

भुवनेश्वर (शोर संदेश)।रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव तीन दिवसीय ओडिशा दौरे पर सोमवार शाम भुवनेश्वर पहुंचेंगे। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि भुवनेश्वर में वैष्णव पुरी जाएंगे, जहां वह शाम को पुरी रेलवे स्टेशन का निरीक्षण करेंगे और विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा के मद्देनजर तीर्थयात्रियों के लिए की गई व्यवस्था की समीक्षा करेंगे। वैष्णव मंगलवार को पूर्वाह्न् में रथ यात्रा स्थल भी जाएंगे। बाद में, वह स्थानीय लोगों से बातचीत करने के लिए बहनागा बाजार जाएंगे, जहां 2 जून की शाम को ट्रिपल ट्रेन दुर्घटना हुई थी। वह बालासोर जिला अस्पताल भी जाएंगे और अस्पताल और जिला प्रशासन के अधिकारियों से मिलेंगे। इसके अलावा बालासोर रेलवे स्टेशन के विकास का निरीक्षण और समीक्षा करेंगे। इस बीच, कटक के एससीबी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में रविवार को एक और घायल यात्री की मौत हो जाने से ओडिशा ट्रेन हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर 292 हो गई। मृतक की पहचान पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना के पलटू नस्कर (24) के रूप में हुई है।


*ओडिशा ट्रेन हादसा: 101 लाशों की अब तक नहीं हुई पहचान, घटना की सीबीआई जांच शुरू*

06-Jun-2023

भुवनेश्वर (शोर संदेश)।ओडिशा ट्रेन हादसे के बाद रेल यातायात बहाल हो गया है, लेकिन अस्पतालों में अब भी 101 शव ऐसे हैं, जिनकी पहचान नहीं हो सकी है। रेलवे और स्वास्थ्य विभाग के लिए अब यह काम बड़ी चुनौती बन गया है।
मृतकों के फोटो जारी कर लोगों से अपील की गई है कि पहचान करने की कोशिश करें। भीषण रेल हादसे में अब तक 275 लोगों की मौत हुई है जबकि 1000 से अधिक घायल हुए हैं। दुर्घटना में कोरोमंडल एक्सप्रेस के डिब्बे पास ही दूसरी लाइन से गुजर रही यशवंतपुर एक्सप्रेस एसएमवी-बेंगलुरु-हावड़ा के आखिरी डिब्बों से टकरा गए थे।

 

इस बीच, जान गंवाने वाले उन लोगों के शवों का दाह संस्कार के बाद अस्थियों का ससम्मान विसर्जन हरिद्वार में किया जाएगा, जिनकी पहचान नहीं हो सकी है। श्री देवोत्थान सेवा समिति के अध्यक्ष अनिल नरेन्द्र ने यह जानकारी दी।

 


उन्होंने कहा, अस्थि कलशों को बालेश्वर से एकत्र कर पहले दिल्ली लाया जाएगा। फिर उन्हें दिल्ली से ले जाकर आठ अक्टूबर को हरिद्वार के कनखल के सती घाट से विधि विधान से विसर्जित किया जाएगा।

 

इसके लिए एक पत्र ओडिशा सरकार को भेज दिया गया है, जिसमें सरकार से अंतिम संस्कार के बाद अस्थियों को उन्हें सौंपने का आग्रह किया गया है। इसके लिए समिति का एक दल जल्द ओडिशा रवाना होगा।

इस बीच, सोमवार से सीबीआई ने मामले की जांच शुरू कर दी। सोमवार को सीबीआई की 10 सदस्यीय टीम के घटनास्थल पहुंचकर जांच शुरू करने की खबर है। खुर्दा रोड डिवीजन के डीआरएम रितेश राय ने कहा कि उनकी जानकारी के अनुसार सीबीआई की जांच आरंभ हो चुकी है।

इस बीच रेलवे संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) ने भी घटनास्थल पर कंट्रोल रूम, सिग्नल रूम और सिग्नल प्वाइंट की जांच की।

 

दुर्घटना की जांच सीबीआइ से कराने पर विपक्ष की आपत्ति पर सरकार से जुड़े सूत्रों ने कहा है कि शुरुआती जांच में जानबूझकर सिस्टम से छेड़छाड़ के स्पष्ट संकेत मिले हैं। इस कारण केंद्रीय एजेंसी से गहन जांच कराने की आवश्यकता महसूस की गई है।

 

दुर्घटना की जांच सीबीआइ से कराने पर विपक्ष की आपत्ति पर सरकार से जुड़े सूत्रों ने कहा है कि शुरुआती जांच में जानबूझकर सिस्टम से छेड़छाड़ के स्पष्ट संकेत मिले हैं। इस कारण केंद्रीय एजेंसी से गहन जांच कराने की आवश्यकता महसूस की गई है।
 
 

 


ओडिशा रेल हादसे में मरने वालों की संख्या हुई 288...

04-Jun-2023

900 से ज्यादा घायल

भुवनेश्वर(शोर संदेश)। ओडिशा के बालासोर में शुक्रवार शाम हुए रेल हादसे में मरने वालों की संख्या बढ़कर 288 हो गई है। 900 से ज्यादा लोग घायल हैं।हादसा बालासोर के बहानगा बाजार स्टेशन के पास शुक्रवार शाम करीब 7 बजे हुआ। न्यूज एजेंसी ने रेलवे के हवाले से जानकारी दी है कि गाड़ियों के बीच टक्कर रोकने वाला कवच सिस्टम इस रूट पर मौजूद नहीं था।हादसे के 23 घंटे बाद यानी शनिवार शाम 6 बजे तक रेल मंत्री या रेलवे मिनिस्ट्री ने हादसे की वजहों पर कुछ नहीं कहा। मंत्री से लेकर अफसर तक जांच कराने की बात दोहराते रहे। इधर न्यूज एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से खबर दी है कि सिग्नल फेल होना भी हादसे की वजह हो सकता है।रेल मंत्रालय के प्रवक्ता अमिताभ शर्मा ने बताया कि ट्रेनों की टक्कर रोकने के लिए बनाया गया कवच सिस्टम अगले साल तक ट्रेनों में इन्स्टॉल किए जाने की संभावना है। फिलहाल दुर्घटना स्थल पर मरम्मत का काम चल रहा है। रेल मंत्रालय के मुताबिक, 1000 से अधिक कर्मी काम में लगे हैं। साथ ही 7 से अधिक पोकलेन मशीन, 2 दुर्घटना राहत ट्रेन, 3-4 रेलवे और रोड क्रेन तैनात हैं।

पीएम मोदी घटनास्थल पर घायलों से मिले, अमेरिकी राष्ट्रपति ने शोक जताया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार शाम करीब 4 बजे घटनास्थल पहुंचे। वे अस्पताल में घायलों से भी मिले। उन्होंने कहा कि दुर्घटना का जो भी दोषी है, उसे बक्शा नहीं जाएगा। हर तरह की जांच के निर्देश दिए हैं। हम इस घटना से सबक लेंगे और व्यवस्था को सुधारेंगे। PM ने घायलों की मदद करने वालों को शुक्रिया कहा।वहीं, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इस हादसे को लेकर शोक जताया है। व्हाइट हाउस ने प्रेस रिलीज जारी कर कहा, हमारी संवेदनाएं हादसे के पीड़ितों के साथ हैं।


मालगाड़ी से टकराई कोरोमंडल एक्सप्रेस कई बोगी पटरी से उतरे

02-Jun-2023

भुवनेश्वर (शोर संदेश)। ओडिशा के बालासोर जिले में बहानागा रेलवे स्टेशन के पास एक बड़ा ट्रेन हादसा हो गया। बहनागा स्टेशन के पास कोरोमंडल एक्सप्रेस और मालगाड़ी आपस में टकरा गई। तलाशी और बचाव अभियान के लिए टीमें मौके पर पहुंच गई हैं। सीपीआरओ दक्षिण रेलवे ने कहा कि ओडिशा के बालासोर में बहानागा स्टेशन के पास कोरोमंडल एक्सप्रेस पटरी से उतर गई।विशेष राहत आयुक्त कार्यालय ने बताया कि बालासोर कलेक्टर को भी सभी जरूरी व्यवस्था करने के लिए मौके पर पहुंचने और राज्य स्तर से किसी भी अतिरिक्त मदद की आवश्यकता होने पर एसआरसी को भी सूचना दे दी गई है।

हादसे में कई यात्रियों के ट्रेन के पलटे डिब्बों में फंसे होने की खबर सामने आ रही है। वहीं रेलवे प्रशासन ने इस रूट की सभी ट्रेनों को रोक दिया है। साथ ही इस हादसे को लेकर प्रशासन ने इमरजेंसी कंट्रोल रूम का नंबर 6782262286 जारी कर दिया है।


*मन की बात के 100वें एपिसोड पर सैंड आर्टिस्ट ने 100 रेडियो के बीच बनाई मोदी की आकृति*

29-Apr-2023

भुवनेश्वर (शोर संदेश)।प्रसिद्ध सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने ओडिशा के पुरी समुद्र तट पर मन की बात के 100 एपिसोड का जश्न मनाने के लिए 100 रेडियो के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक रेत की आकृति बनाई है। पटनायक ने लगभग सात टन रेत का उपयोग करके 8 फुट ऊंची रेत कला बनाई है। उन्होंने 100 रेत रेडियो से प्रधानमंत्री की एक रेत की मूर्ति भी बनाई। मूर्तिकला को पूरा करने के लिए उनके सैंड आर्ट स्कूल के छात्र उनके साथ शामिल हुए।पटनायक ने कहा, इससे पहले, मैंने विभिन्न अवसरों पर 'मन की बात' में कुछ रेत की मूर्तियां बनाईं। इसके अलावा, रेडियो पर रेत की मूर्तियां भी विश्व रेडियो दिवस जैसे अवसरों पर बनाई गईं। 3 अक्टूबर 2014 को पहली बार प्रसारित मोदी का प्रमुख रेडियो संबोधन 30 अप्रैल को 100 एपिसोड पूरे करेगा। अब तक, पद्म विजेता कलाकार ने दुनिया भर में 60 से अधिक अंतरराष्ट्रीय सैंड आर्ट प्रतियोगिताओं और उत्सवों में भाग लिया है और कई पुरस्कार जीते हैं। वह हमेशा अपनी सैंड आर्ट के जरिए विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता पैदा करने की कोशिश करते हैं। उनकी रेत कलाओं की संयुक्त राष्ट्र, डब्ल्यूएचओ और संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण द्वारा सराहना की जाती है।

 

 


*सैंड आर्टिस्ट ने प्रधानमंत्री मोदी की माता को दी श्रद्धांजलि*

31-Dec-2022

पुरी (शोर संदेश) ।ओडिसा के पुरी समुद्र तट पर सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने पीएम नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन मोदी की रेत पर तस्वीर बनाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।


*4 हजार दीयों और 5 टन रेत से सुदर्शन ने बनाई मां काली की मूर्ति...*

24-Oct-2022

भुवनेश्वर (शोर संदेश)।देशभर में दिवाली का त्योहार धूमधाम से मनाया जा रहा है। दिवाली के मौके पर पद्मश्री विजेता सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने अपने अंदाज में दिवाली की शुभकामनाएं दी हैं। सुदर्शन पटनायक ने ओडिशा के पुरी बीच पर मां काली की रेत से खूबसूरत मूर्ति बनाई है। रेत की मूर्ति बनाने में उन्होंने हजारों दीयों का इस्तेमाल किया है। सुदर्शन पटनायक ने रेत से बनाई मां काली की मुर्ति ट्वीट भी की है। उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट से मां काली की तस्वीर ट्वीट की है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, 'हैप्पी दिवाली... ओडिशा के पुरी बीच पर 4045 दीयों से मां काली की रेत से मूर्ति बनाई है।'


113 साल पहले ब्रिटिश सरकार ने सूर्य मंदिर के गर्भ गृह में भरी थी रेत, अब निकाली जा रही

10-Sep-2022

 भुवनेश्वर (शोर संदेश)। ओडिशा के कोणार्क स्थित सूर्य मंदिर के गर्भगृह से 119 साल बाद कई टन रेत निकाली जा रही है। रेत निकालने के साथ ही सूर्य मंदिर का आकार भी बदल जाएगा। इस कार्य को करने के लिए 3 साल का लक्ष्य रखा गया है। कार्य बेहतर ढंग हो इसके लिए बीते दिन सूर्य मंदिर में पूजा अर्चना भी की गई। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीक्षक अरुण मल्लिक ने कहा कि पिछले दो वर्षों से विभिन्न विशेषज्ञों और इंजीनियरों के साथ विचार-विमर्श करते हुए मंदिर से रेत हटाई जा रही है। इसके लिए एक सुरक्षित प्रणाली तैयार की गई है ताकि लोग 13 वीं शताब्दी के मंदिर में प्रवेश कर सकें।

3 साल में हटेगी रेत
उड़ीसा उच्च न्यायालय के निर्देश और केंद्रीय मंत्री के संसद को दिए गए आश्वासन के बाद प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके लिए एक प्रतिष्ठित निजी निर्माण कंपनी काम के लिए तकनीकी सहायता प्रदान करेगी जबकि रेत हटाने के लिए एएसआई अधिकारियों को तैनात किया जाएगा। एएसआई का लक्ष्य नवीनतम तकनीक का उपयोग करके वैज्ञानिक तरीके से तीन साल में रेत को हटाना है। रेत को हटाने का निर्णय 2020 में एएसआई द्वारा कोणार्क में आयोजित एक राष्ट्रीय सम्मेलन में लिया गया था।

ऐसे निकाली जाएगी रेत
बता दें कि रेत को निकालने के लिए पहले चरण में निजी कंपनी बीडीआर कंस्ट्रक्शन इसके लिए 4 फीट चौड़ी और 5 फीट ऊंची सुरंग बनाकर मेकेनिकल वर्किंग प्लेटफार्म तैयार करेगी। इस प्लेटफार्म पर लिफ्ट और ट्राली के जरिए गर्भगृह से रेत और पत्थर निकाले जाएंगे। एएसआई के अनुसार रेत निकालते हुए संरचना को अस्थाई सपोर्ट देने के लिए स्टील बीम गाड़े जाएंगे।

1903 में ब्रिटिश सरकार ने भराई थी रेत
सन 1903 में ब्रिटिश काल के दौरान सूर्य मंदिर की सुरक्षा और संरक्षण के लिए मंदिर के गर्भगृह के अंदर रेत भरी गई थी। खराब मौरम के चलते संरचना को गिरने से बचाने के लिए गर्भगृह के चार प्रवेश द्वारों को सील कर इसमें रेत भर दी गई थी।

क्यों हटाई जा रही रेत
ब्रिटिश सरकार द्वारा जब रेत भरी गई थी तो यह माना गया था कि यह गर्भगृह का भार अपने ऊपर ले लेगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यह रेत धीरे-धीरे खिरकती गई और अब संरचना में दरारे आने लगी। इसके चलते दुनिया भर के कई विशेषज्ञों ने संरचना को और मजबूत करने के लिए सूर्य मंदिर के जगमोहनम (गर्भगृह) से रेत हटाने का सुझाव दिया। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि रेत को हटाने से मंदिर का जीवनकाल कई गुना बढ़ जाएगा। बता दें कि इसकी मांग रुड़की स्थित सेंटर फार बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआर) की उस रिपोर्ट के बाद की गई थी जिसमें रेत के खिसकने की बात कही गई थी। इसके बाद हाई कोर्ट ने एएसआइ की भूमिका पर भी सवाल उठाए थे।

800 साल पहले बना था मंदिर

बता दें कि गंगा वंश के राजा नरसिंहदेव प्रथम ने 800 साल पहले सूर्य देव की पूजा अर्चना के लिए यह मंदिर बनवाया था। 13 वीं शताब्दी से यह कलिंगन मंदिर पुरी और भुवनेश्वर के साथ ओडिशा के स्वर्ण त्रिभुज का हिस्सा है और पर्यटकों, तीर्थयात्रियों और इतिहास और कला प्रेमियों को आकर्षित करता है। हालांकि, तब से स्मारक ने अपना मुख्य ढांचा खो दिया है और केवल गर्भगृह ही बचा है।



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