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Bastar

तीरथगढ़ जलप्रपात में गिरकर पर्यटक की मौत, सेल्फी लेने के चक्कर में गंवाई जान

02-Jun-2025
जगदलपुर। शोर संदेश ) लगातार बारिश से बस्तर की खुशनुमा वादियों का लुफ्त उठाने के लिए सैलानियों का बस्तर पहुंचना शुरू हो गया है। इस बीच रविवार की सुबह तीरथगढ़ जलप्रपात में एक नाबालिग की डूबकर मौत होने की खबर सामने आई है। बताया जा रहा है कि नाबालिग अपने परिजनों के साथ विशाखापट्टनम से बस्तर घुमने आया था।
युवक का शव एसडीआरएफ की टीम द्वारा तीन घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद बाहर निकाला गया। दरभा थाना से मिली जानकारी के मुताबिक रविवार की सुबह लगभग 9 बजे विशाखापत्तनम से आये 8 सदस्यीय परिवार के लोग जलप्रपात के सुंदर दृष्यों को फोटो और वीडियो के माध्यम से शूट कर रहे थे इसी बीच साई सात्विक 17 वर्ष पिता रवि शंकर तीरथगढ़ जलप्रपात में सेल्फी लेने के दौरान नीचे कुंड में जा गिरा।
इस घटना के बाद उनके परिजनों में हड़कंप मच गया और युवक को पानी में तलाश करने की कोशिश करने लगे कोई पता नहीं चलने पर आसपास के सुरक्षा कर्मियों और पुलिस की मदद मांगी गई। मामले की जानकारी नगर सेना को दी गई जिसके बाद एसडीआरएफ की टीम ने काफी मशक्कत के बाद युवक का शव बरामद कर सका। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक युवक का पैर फिसलने से वह सीधे कुंड में जा गिरा और डूब गया। शव बरामद होते ही पुलिस ने पोस्टमार्टम के पश्चात युवक के शव परिजनों को सौप दिया है।

वाहनों में हाई-सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाना अनिवार्य, शहर के विभिन्न स्थानों में लगाया जा रहा है शिविर

21-May-2025
जगदलपुर।  शोर संदेश आने वाले दिनों में बस्तर के उन वाहन चालकों की परेशानी बढ़ सकती है जिसने अपने वाहन पर हाई सिक्योरिटी वाले नंबर प्लेट नहीं लगाया है। सरकार द्वारा 2019 से पहले के सभी वाहनों के नंबर प्लेट अनिवार्य रूप से बदलने लगातार जागरूकता अभियान चला रही है।
शहर में जगह जगह लोगों को सुविधा देने शिविर भी लगा रही है किन्तु वाहन चालक हैं कि नंबर लगाने में रूचि ही नहीं दिखा रहे हैं। बस्तर जिले की बात की जाय तो यहां पर लगभग 1.50 लाख वाहनों में हाई सिक्योरिटी वाले नबर प्लेट लगने हैं किन्तु परिवहन विभाग की माने तो नंबर प्लेट के लिए मात्र 3500 लोग ही दिए हैं। ऐसे में परिवहन विभाग अन्य जिलों की तर्ज पर बस्तर में भी वाहन चालकों के खिलाफ कड़ाई कर चालान करने की तैयारी कर रही है।
नहीं लगा रहे नंबर
6 दिसंबर 2018 को अधिसूचना जारी किया गया था। वाहन चालकों को 2022 से निर्देश दिया जा रहा है और इस वर्ष नबंर बदलने का अंतिम समय 30 अप्रैल तक दिया गया था। जानकारी के मुताबिक पिछले छह महीनों से वर्ष 2019 के पहले वाले सभी छोटे बड़े वाहनों में प्लेट लगाये जाने की प्रक्रिया अनिवार्य कर दी गई है।
लगाए जा रहे हैं शिविर
हाई सिक्योरिटी नबर प्लेट लगवाने सरकार द्वारा लगातार लोगों को रियायत दी जा रही है। चालकों के सहूलियत के लिए जगह जगह इसके लिए शिविर भी लगाए जा रहे हैं। इसके लिए जागरूकता अभियान के साथ साथ प्रचार प्रसार भी किया जा रहा है। इसके बावजूद लोग इस नबर को लगवाने में कोई रूचि नहीं दिखा रहे है। बस्तर जिले में लगभग 1.50 लाख वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाए जाने हैं किन्तु अभी तक केवल 3500 लोग ही नंबर प्लेट के लिए आवेदन किए हैं।

समर कैंप में रचनात्मक गतिविधियों में उत्साह के साथ भाग ले रहे स्कूली बच्चे

06-May-2025
जगदलपुर। शोर संदेश )  कमिश्नर बस्तर संभाग डोमन सिंह ने कहा कि स्कूली बच्चों में छिपी हुई प्रतिभा को उभारने और निखारने के लिए समर कैंप का आयोजन
सकारात्मक पहल है। जिससे बच्चे खेलकूद, गीत-संगीत, नृत्य, चित्रकला, रंगोली सहित अन्य रचनात्मक गतिविधियों में उत्साहपूर्वक भाग लेकर समग्र व्यक्तित्व विकास कर सकें। इससे बच्चों को मनोरंजन के साथ ही सीखने-समझने का अवसर प्राप्त होता है, साथ ही उनके सृजनात्मक कौशल को बढ़ावा मिलता है। यह बात कमिश्नर बस्तर डोमन सिंह सोमवार को बस्तर जिले के जगदलपुर ब्लॉक अंतर्गत प्राथमिक शाला बाबू सेमरा में आयोजित मेगा समर कैंप में स्कूली बच्चों और शिक्षक-शिक्षिकाओं को सम्बोधित करते हुए कहा। इस दौरान उन्होंने अलग-अलग विधाओं और रचनात्मक कार्यों के माध्यम से बच्चों में नई ऊर्जा का संचार करने के लिए शिक्षक-शिक्षिकाओं को भी सक्रिय सहभागिता निभाने की समझाइश दी। ज्ञात हो कि ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान जिले के विभिन्न स्कूलों में हजारों बच्चे मेगा समर कैंप में उत्साहपूर्वक भाग ले रहे हैं। इस कैंप में बच्चों को रचनात्मक गतिविधियों के माध्यम से न केवल मनोरंजन का मौका मिल रहा है, बल्कि उनके व्यक्तित्व और कौशल विकास पर भी ध्यान दिया जा रहा है।
 मेगा समर कैंप में चित्रकला, हस्तशिल्प, नृत्य, गीत-संगीत, कहानी-कविता लेखन, नाटक, योग और विज्ञान से जुड़े प्रयोग, रोचक किस्से-कहानियां जैसी विभिन्न गतिविधियां कराई जा रही हैं। बच्चे अपनी रुचियों के अनुसार समूहों में बंटकर इन गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। शिक्षकों और प्रशिक्षकों की देखरेख में बच्चे अपनी प्रतिभा को निखारने का प्रयास कर रहे हैं। बाबू सेमरा समर कैंप में सयुंक्त संचालक स्कूल शिक्षा संजीव श्रीवास्तव ने बताया कि इस प्रकार के कैंप बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाते हैं और उन्हें सीखने की प्रक्रिया को रोचक ढंग से अपनाने में मदद करते हैं। वहीं जिला शिक्षा अधिकारी बीआर बघेल ने कहा कि समर कैंप बच्चों में कल्पनाशीलता की गुणों को भी बढ़ावा देता है जहां बच्चे एक-दूसरे से सीखकर स्वयं के विकास में भागीदारी निभाते हैं। ऐसे कार्यक्रम बच्चों को सिर्फ छुट्टियों का आनंद नहीं देते, बल्कि उन्हें सीखने का नया दृष्टिकोण भी प्रदान करते हैं।
बच्चों ने साझा किया अनुभव
छात्र-छात्राओं ने भी कैंप के अनुभव को बेहद सकारात्मक बताया। कक्षा 6 वीं के छात्र लक्ष्य ने कहा छुट्टी के बीच यहां मुझे दोस्त मिले और मैंने उनके साथ पेंटिंग में भाग लिया, अलग-अलग चित्रकारी सीखना और उसे अच्छे से करना मित्रों के बीच बढ़िया लगा। वहीं कक्षा 7 वीं की छात्रा संजना ने कहा मैंने पेंटिंग और रंगोली बनाना सीखी। जिसे अब लगातार अच्छा और बेहतर करने का प्रयास करूंगी।
समर कैंप का समापन एक सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ किया जाएगा, जिसमें बच्चे अपनी सीखी हुई कला का प्रदर्शन करेंगे। जिसमें बच्चों के माता-पिता, अभिभावकों सहित जनप्रतिनिधियों एवं पंचायत पदाधिकारियों को भी आमंत्रित किया जाएगा। इस मौके पर प्रतिभागी बच्चों के साथ ही शिक्षक-शिक्षिकाओं का उत्साहवर्धन करने के लिए उन्हें प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा।

समर कैंप में बच्चों की रचनात्मकता को मिल रहा मंच, उत्साहपूर्वक भागीदारी

05-May-2025
जगदलपुर। शोर संदेश  कमिश्नर बस्तर संभाग डोमन सिंह ने कहा कि स्कूली बच्चों में छिपी हुई प्रतिभा को उभारने और निखारने के लिए समर कैंप का आयोजन सकारात्मक पहल है। जिससे बच्चे खेलकूद, गीत-संगीत, नृत्य, चित्रकला, रंगोली सहित अन्य रचनात्मक गतिविधियों में उत्साहपूर्वक भाग लेकर समग्र व्यक्तित्व विकास कर सकें। इससे बच्चों को मनोरंजन के साथ ही सीखने-समझने का अवसर प्राप्त होता है, साथ ही उनके सृजनात्मक कौशल को बढ़ावा मिलता है। यह बात कमिश्नर बस्तर डोमन सिंह सोमवार को बस्तर जिले के जगदलपुर ब्लॉक अंतर्गत प्राथमिक शाला बाबू सेमरा में आयोजित मेगा समर कैंप में स्कूली बच्चों और शिक्षक-शिक्षिकाओं को सम्बोधित करते हुए कहा। इस दौरान उन्होंने अलग-अलग विधाओं और रचनात्मक कार्यों के माध्यम से बच्चों में नई ऊर्जा का संचार करने के लिए शिक्षक-शिक्षिकाओं को भी सक्रिय सहभागिता निभाने की समझाइश दी। ज्ञात हो कि ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान जिले के विभिन्न स्कूलों में हजारों बच्चे मेगा समर कैंप में उत्साहपूर्वक भाग ले रहे हैं। इस कैंप में बच्चों को रचनात्मक गतिविधियों के माध्यम से न केवल मनोरंजन का मौका मिल रहा है, बल्कि उनके व्यक्तित्व और कौशल विकास पर भी ध्यान दिया जा रहा है।
 मेगा समर कैंप में चित्रकला, हस्तशिल्प, नृत्य, गीत-संगीत, कहानी-कविता लेखन, नाटक, योग और विज्ञान से जुड़े प्रयोग, रोचक किस्से-कहानियां जैसी विभिन्न गतिविधियां कराई जा रही हैं। बच्चे अपनी रुचियों के अनुसार समूहों में बंटकर इन गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग ले रहे हैं। शिक्षकों और प्रशिक्षकों की देखरेख में बच्चे अपनी प्रतिभा को निखारने का प्रयास कर रहे हैं। बाबू सेमरा समर कैंप में सयुंक्त संचालक स्कूल शिक्षा संजीव श्रीवास्तव ने बताया कि इस प्रकार के कैंप बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ाते हैं और उन्हें सीखने की प्रक्रिया को रोचक ढंग से अपनाने में मदद करते हैं। वहीं जिला शिक्षा अधिकारी बीआर बघेल ने कहा कि समर कैंप बच्चों में कल्पनाशीलता की गुणों को भी बढ़ावा देता है जहां बच्चे एक-दूसरे से सीखकर स्वयं के विकास में भागीदारी निभाते हैं। ऐसे कार्यक्रम बच्चों को सिर्फ छुट्टियों का आनंद नहीं देते, बल्कि उन्हें सीखने का नया दृष्टिकोण भी प्रदान करते हैं।
छात्र-छात्राओं ने भी कैंप के अनुभव को बेहद सकारात्मक बताया। कक्षा 6 वीं के छात्र लक्ष्य ने कहा छुट्टी के बीच यहां मुझे दोस्त मिले और मैंने उनके साथ पेंटिंग में भाग लिया, अलग-अलग चित्रकारी सीखना और उसे अच्छे से करना मित्रों के बीच बढ़िया लगा। वहीं कक्षा 7 वीं की छात्रा संजना ने कहा मैंने पेंटिंग और रंगोली बनाना सीखी। जिसे अब लगातार अच्छा और बेहतर करने का प्रयास करूंगी।
समर कैंप का समापन एक सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ किया जाएगा, जिसमें बच्चे अपनी सीखी हुई कला का प्रदर्शन करेंगे। जिसमें बच्चों के माता-पिता, अभिभावकों सहित जनप्रतिनिधियों एवं पंचायत पदाधिकारियों को भी आमंत्रित किया जाएगा। इस मौके पर प्रतिभागी बच्चों के साथ ही शिक्षक-शिक्षिकाओं का उत्साहवर्धन करने के लिए उन्हें प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा।











 

हैंडपंप सुधार से ग्रामीणों को राहत, अब टोलफ्री नंबर से मिल रही मदद

25-Apr-2025
जगदलपुर। ( शोर संदेश )  जिले के ग्रामीण इलाकों से बोरिंग खराब होने की खबर मिलने पर उक्त ब्लॉक के प्रभारी अधिकारी तुरन्त सुधार कार्य हेतु कर्मचारियों के साथ पहुंच रहे हैं। साथ ही ग्रामीण अब टोलफ्री नम्बर से भी पेयजल की दिक्कत सम्बन्धी सूचना दे रहे हैं। जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में हैंडपंप संधारण एवं सोलर ड्यूल पम्पों के रखरखाव में आशाजनक प्रगति आयी है। 
इस कार्य को और प्रगति देने हेतु कार्यपालन अभियंता लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी खण्ड जगदलपुर एचएस मरकाम द्वारा गत दिवस सभी सहायक अभियंता सहित उप अभियंता एवं जल जीवन मिशन के जिला समन्यवयकों की बैठक में ग्रीष्मकाल के दौरान पेयजल की समुचित उपलब्धता के लिए सजग रहकर दायित्व निर्वहन किए जाने कहा। साथ ही हैंडपंप संधारण अभियान को निरंतर चलाए जाने के निर्देश दिए। उन्होने आवश्यकता के अनुसार नलकूपों में राइजिंग पाईप बढ़ाकर पेयजल सुलभ करवाने का भी निर्देश दिया। साथ ही नवीन हैंडपंप की आवश्यकता वाले गांवों एवं पारे-टोले में नए नलकूप खनन सहित हैंडपंप स्थापित करने के लिए प्राथमिकता देने कहा।
ज्ञात हो कि जिले के सभी विकासखण्डों में हैंडपंप एवं सोलर ड्यूल पम्प संधारण अभियान के तहत अब तक 537 हैण्डपंप एवं 23 सोलर डयूल पंपो को सुधारा जा चुका है। इस अभियान में सुधार कार्य हेतु आवश्यक स्पेयर पार्टस राईजिंग पाईप, कनेक्टिंग रॉड, वासर इत्यादि अन्य जरूरी सामग्रियों को उपलब्ध करवाया गया है। वहीं अभियान का नियमित तौर पर मॉनिटरिंग किया जा रहा है। राज्य शासन के निर्देशानुसार जिले में ग्रीष्मकाल के दौरान पेयजल व्यवस्था सुनिश्चित करने सहित शिकायत निवारण के लिए प्रत्येक ब्लॉक में प्रभारी अधिकारी नियुक्त किया गया है। साथ ही समस्या समाधान के लिए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग द्वारा टोलफ्री नंबर 1800-233-0008 जारी किया गया है। इस बारे में कार्यपालन अभियंता लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी खण्ड जगदलपुर एचएस मरकाम ने बताया कि उक्त टोलफ्री नम्बर द्वारा सीधे विभाग से संपर्क कर  पेयजल सम्बन्धी समस्या के बारे में अवगत कराया जा सकता है। 
वर्तमान में जिले के ग्रामीण इलाकों में मरम्मत योग्य हैण्डपम्पों का सुधार किया जा रहा है। साथ ही क्रेडा के माध्यम से सोलर ड्यूल पम्पों का संधारण सुनिश्चित किया जा रहा है। पेयजल व्यवस्था के दृष्टिकोण से जिले के प्रत्येक विकासखण्ड में शिकायत निवारण के लिए नियुक्त प्रभारी अधिकारी के तहत दरभा एवं लोहण्डीगुडा हेतु एसडीओ हिरेन्द्र बघेल मोबाइल नंबर 78289-57721, बास्तानार एवं तोकापाल के लिए उप अभियंता एसएस पैकरा मोबाइल नंबर 75873-62080, बकावण्ड एवं बस्तर हेतु उप अभियंता आलोक मंडल मोबाइल नंबर 99936-99227 और जगदलपुर ब्लॉक के लिए एसडीओ के. सुनिता मोबाइल नंबर 94252-65225 को दायित्व सौंपा गया है। इन प्रभारी अधिकारियों से भी संपर्क कर पेयजल सम्बन्धी समस्या के सम्बंध में अवगत कराया जा सकता है।


 

महतारी वंदन योजना से महिलाओं को संबल, अटल डिजिटल केन्द्र से ग्रामीणों को सुविधा

25-Apr-2025
बस्तर।( शोर संदेश ) राष्ट्रीय पंचायतीराज दिवस के अवसर पर गुरुवार को मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने प्रदेश के पंचायत पदाधिकारियों और ग्रामीणों को राष्ट्रीय पंचायतीराज दिवस की बधाई दी। इस अवसर पर उन्होंने प्रत्येक विकासखण्ड में दस-दस ग्राम पंचायतों में अटल डिजिटल सुविधा केन्द्र का शुभारंभ किया। साथ ही सामुदायिक सहभागिता से जल संरक्षण एवं संवर्धन हेतु मोर पानी-मोर गांव अभियान की शुरुआत की और जनप्रतिनिधियों, पंचायत पदाधिकारियों एवं ग्रामीणों को जल संरक्षण एवं संवर्धन हेतु पानी का सदुपयोग करने सहित भू-जल स्रोत में वृद्धि के लिए कुएं, बावड़ी, डबरी-तालाब इत्यादि पारम्परिक जल स्रोतों की साफ-सफाई करने और रखरखाव करने सहित इस दिशा में जागरूकता निर्मित करने का संकल्प दिलाया। इस अवसर पर जगदलपुर विकासखण्ड के नानगुर में भी अटल डिजिटल सुविधा केन्द्र का शुभारंभ किया गया। इस मौके पर क्षेत्र के पंचायत पदाधिकारियों तथा ग्रामीणों ने वर्चुअल रूप से उक्त कार्यक्रम को देखा।
इस दौरान मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए जगदलपुर विकासखण्ड के नानगुर ग्राम पंचायत के अंतर्गत महतारी वंदन योजनांतर्गत लाभान्वित हितग्राहियों सुमनी बघेल एवं मनीता सेठिया से चर्चा करते हुए महतारी वंदन योजना की सहायता राशि के उपयोग के बारे में पूछा। हितग्राही सुमनी बघेल ने ग्राम पंचायत में अटल डिजिटल सुविधा केन्द्र प्रारंभ करने के लिए मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को धन्यवाद देते हुए बताया कि पहले बैंक से पैसा निकालने के लिए जगदलपुर जाना पड़ता था लेकिन अब गांव में ही अटल डिजिटल सुविधा केन्द्र खुलने से उसके साथ ही अन्य लोगों को काफी सहूलियत होगी। सुमनी ने बताया कि सरकार के द्वारा महतारी वंदन योजनांतर्गत दी जा रही सहायता राशि को बचत कर रही हैं। इस सहायता राशि से 8 वीं कक्षा पढ़ रही बेटी को 12 वीं के बाद कम्प्यूटर कोर्स करवाना चाहती है। वहीं मनीता सेठिया ने बताया कि महतारी वंदन योजनांतर्गत सहायता राशि हम महिलाओं के लिए मददगार साबित हो रही है, वह इस राशि का उपयोग घरेलू जरूरतों के लिए कर रही हैं। इस दौरान अटल डिजिटल सुविधा केन्द्र नानगुर में  आधार इनबेल्ट माध्यम से सुमनी बघेल, मनीता सेठिया, शान्ति बघेल और कलावती कश्यप को महतारी वंदन योजनांतर्गत राशि का नकद भुगतान किया गया। इस अवसर पर जनपद पंचायत अध्यक्ष पदलाम नाग, जनपद पंचायत उपाध्यक्ष पुरषोत्तम कश्यप सहित अन्य पंचायत पदाधिकारी और कलेक्टर हरिस एस, सीईओ जिला पंचायत प्रतीक जैन तथा अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

जंगल सफारी में घायल बाघ का इलाज, विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम रख रही है निगरानी

20-Apr-2025
जगदलपुर। ( शोर संदेश )  बीजापुर जिले के इंद्रावती टाइगर रिजर्व से भेजे गए घायल बाघ का जंगल सफारी में इलाज जारी है। घायल बाघ का उपचार कर रहे डाक्टरों के अनुसार इलाज के बाद घायल बाघ की हालत में सुधार दिखाई दे रहा है और उसके जल्द ही सामान्य स्थिति में आने की उम्मीद है। धम्मशील गणवीर, डायरेक्टर जंगल सफारी ने बताया कि बाघ की इलाज कर रहे डाक्टरों के मुताबिक बाघ के पिछले दोनों पैर में घाव के चलते कीड़े लग गए थे, जिसे साफ कर कई टांके लगाए गए है। यहां पर मौजूद वन्य प्राणियों के विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम बाघ की सतत निगरानी कर रहे हैं, और उनके जल्द ही स्वस्थ होने की उम्मीद कर रहे हैं। घायल बाघ का इलाज विशेषज्ञ डाक्टरों की निगरानी में किया जा रहा है। बहुत जल्दी उसके हालत में सुधार की उम्मीद है।
गौरतलब है कि दक्षिण बस्तर में बीजापुर में इंद्रावती टाइगर रिजर्व के बफर जोन के ग्राम कांदुलनार, मोरमेड़ और तोयनार गांवों के बीच घने जंगल में ग्रामीणों द्वारा एक घायल बाघ देखे जाने की सूचना मिली थी। इसके बाद वन विभाग की टीम ने बाघ को ट्रैंकुलाइज कर रेस्क्यू किया व घायल बाघ का बीजापुर में प्राथमिक उपचार के बाद जख्म की गंभीरता को देखते हुए बेहतर इलाज के लिए जंगल सफारी रायपुर रिफर किया था। नया रायपुर के जंगल सफारी में डॉ की टीम बाघ का इलाज कर रही है।
 

सुशासन तिहार में आवेदन पत्र प्राप्ति: कमिश्नर डोमन सिंह ने किया उत्साहवर्धन

09-Apr-2025
जगदलपुर। ( शोर संदेश ) राज्य शासन के निर्देशानुसार मंगलवार को सुशासन तिहार 2025 के प्रथम चरण के तहत ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्रों में आवेदन पत्र प्राप्त करने की शुरुआत हुई। जिसमें अपनी समस्या-शिकायत निराकरण के प्रति लोगों में खासा उत्साह देखने को मिला। इस दौरान कमिश्नर बस्तर संभाग डोमन सिंह ने बस्तर जिले के जगदलपुर विकासखण्ड के नगरनार तथा माड़पाल में ग्रामीणों से आवेदन पत्र प्राप्ति का जायजा लिया और आवश्यक दिशा-निर्देश सम्बन्धित अधिकारियों को दिए। उन्होंने इस मौके पर नगरनार एवं माड़पाल के आवेदन प्राप्ति स्थल पर स्वयं आवेदकों से आवेदन प्राप्त कर सम्बन्धित आवेदकों रतनी बाई एवं फूलमनी अमदिया का उत्साहवर्धन किया, साथ ही ड्यूटीरत कर्मचारियों से पंजी में आवश्यक प्रविष्टि करवाने के उपरांत पावती देने कहा। वहीं ग्रामीणों को जरूरत के अनुरूप आवेदन पत्र लिखने के लिए सहायता देने के भी निर्देश अधिकारियों को दिए। कमिश्नर ने इस दौरान सुशासन तिहार में सबकी सहभागिता सुनिश्चित करने हेतु उपस्थित पंचायत पदाधिकारियों और अन्य लोगों को प्रोत्साहित किया।
कमिश्नर ने अपने भ्रमण के दौरान सुशासन तिहार के तहत आवेदन पत्र प्राप्ति स्थलों पर आम लोगों के बैठने की व्यवस्था हेतु छाया, दरी और पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित किए जाने के निर्देश दिए। वहीं आम जनता को सुशासन तिहार के बारे में अवगत कराने के लिए मैदानी अमले के जरिए प्रचार-प्रसार किए जाने कहा, साथ ही कोटवारों के माध्यम से मुनादी करवाने के निर्देश दिए। इस मौके पर सीईओ जिला पंचायत श्री प्रतीक जैन ने बताया कि जिले में सुशासन तिहार को लेकर लोगों में भारी उत्साह है और आवेदकों से आवेदन पत्र प्राप्त करने के लिए सभी आवश्यक व्यवस्था सुनिश्चित कर ली गई है। आवेदन पत्र प्राप्ति हेतु कर्मचारियों की ड्यूटी लगाने सहित नियमित तौर पर मॉनिटरिंग के लिए भी ब्लॉक स्तरीय अधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। सुशासन तिहार के उद्देश्य को जन-जन तक पहुंचाने के लिए दीवार लेखन, बैनर-पोस्टर के माध्यम से प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। वहीं शहरी क्षेत्रों में ध्वनि विस्तारक यंत्रों के जरिए नागरिकों को जानकारी दी जा रही है। ग्रामीण इलाकों में कोटवारों के माध्यम से मुनादी करवाया जा रहा है और हाट-बाजारों में भी प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। इस दौरान अवगत कराया गया कि नगरनार में 59 तथा माड़पाल में 21 आवेदन पत्र प्राप्त हुए हैं। इस मौके पर अपर कलेक्टर प्रवीण वर्मा, डिप्टी कमिश्नर आरती वासनिक और अन्य अधिकारी मौजूद रहे। 
 

स्टील प्लांट के कोक ओवन में लगी भीषण आग लाखों की बैटरियां जलकर खाक मचा हड़कंप

08-Apr-2025

जगदलपुर  ( शोर संदेश ) । शहर से 18 किमी दूर एनएमडीसी के नगरनार स्टील प्लांट में सोमवार की दोपहर को आग की भीषण लपटें उठती नजर आईं। आग की यह लपटें दस किमी से अधिक दूर से दिखाई देती रहीं। पता चला है कि प्लांट के कोक ओवन में दोपहर को आग लग गई थी। यहां पर ओवन को चार्ज करने बैटरियां रखी हुई होती हैं।
इस कोक ओवन में जब आग की लपटें उठने लगी तो यहां व आसपास अलग-अलग यूनिट में काम कर रहे कर्मचारी अपनी जान बचाने के लिए भागने लगे। हो हल्ला के आधा घंटा बाद प्लांट के फायर ब्रिगेड की वाहनें पहुंची। एक घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका। आग से यहां रखी हुई कीमती बैटरियां जलकर खाक हो गईं हैं।
आग लगने के बाद पूरे प्लांट परिसर में गहमागहमी छा गई। कर्मचारी अपने सहकर्मियों की जान बचाने के लिए उनसे संपर्क साधने लगे। इधर इसकी भनक जब अधिकारियों को लगी तो वे अपने अपने यूनिट में काम पूरा करने के लिए कर्मचारियों पर दबाव बनाते रहे। वे उन्हें मोबाइल व माइक पर समझाते रहे कि यह रूटीन की बात है, बावजूद कर्मचारी नहीं माने।
यहां कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि प्लांट में आग लगने से उठे धुंए की वजह से उनका सांस लेना दुभर हो गया था। आग बुझने के काफी देर बाद धूंए के बादल गायब हुए। आग से गनीमत यह रही कि मानव जान का नुकसान नहीं हुआ। हालांकि इससे प्लांट को लाखों का नुकसार उठाना पड़ेगा। मेंटनेंस व काम में देरी का नुकसान भी काफी होगा।
नएमडीसी के इस स्टील प्लांट में पहले भी आग लगने व हॉट मेटल के छिड़काव की घटना हो चुकी है। इन घटनाओं से प्लांट प्रबंधन सबक नहीं ले रहा है। हॉट मेटल की वजह से कुछ कर्मचारी गंभीर रुप से घायल भी हुए थे। प्लांट के पास अपने इन कर्मचारियों के उपचार के लिए कोई अस्पताल है न ही आग से बचाव के उचित प्रबंध किए जाने की तकनीक विकसित की गई है।


नक्सलियों के खिलाफ अभियान जारी, कई बड़े नेता मारे गए या आत्मसमर्पण कर चुके हैं

07-Apr-2025
जगदलपुर।  ( शोर संदेश )  बस्तर संभाग के लिए नासूर बन चुके नक्सलवाद का पदार्पण 1980 के दशक में हुआ, बस्तर में पहली नक्सली वारदात 4 अप्रेल 1991 को बीजापुर के मरईगुडा-गोलापल्ली में जवानों के वाहन को आईईडी विस्फोट से उड़ा दिया गया, जिसमें 19 जवान बलिदान हुए थे, दूसरी नक्सली वारदात एक वर्ष बाद 6 जून 1992 को नारायणपुर के छोटेडोंगर में हुई, इसके बाद नक्सली वारदात का सिलसिला चल पड़ा । वहीं आज से ठीक 15 वर्ष पूर्व नक्सल इतिहास की सबसे बड़ी नक्सली वारदात 6 अप्रैल 2010 को सुकमा जिले के ताड़मेटला गांव में हुई थी।
चिंतलनार कैंप से लगभग पांच किमी दूर ताड़मेटला गांव में सीआरपीएफ के 75 और जिला बल के एक जवान बलिदान हो गए थे।
नक्सलियों ने 76 जवानों का कत्लेआम कर दिया, ऐसी घटना की इतिहास अनदेखी नहीं कर सकता, लेकिन आज 15 वर्ष बाद ताड़मेटला नक्सली वारदात के बलिदानी 76 जवानों की शहादत को लगभग विस्मृत कर दिया गया है। ताड़मेटला के बलिदानी 76 जवानों को लेकर सरकार से लेकर किसी भी संगठन के द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से भी याद तक नही करना, अनुचित ही नही दुखद है।
यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि कांग्रेस की सरकारें नक्सलियों की पोषक थी।भाजपा की 15 महिने की सरकार ने जैसे ही नक्सली खात्में के लिए आगे बढ़ी तो इसका परिणाम हम सबके सामने है। यदि कांग्रेस की सरकार नक्सलियों के खात्में का इरादा रखती तो बस्तर में नक्सली समस्या इतनी बड़ी होता ही नही। बस्तर में बदलते हालात के बीच नक्सलियों की मांद में सुरक्षा कैंप स्थापित होने से नक्सलियों को अपना आधार क्षेत्र छोड़कर भागना पड़ा है।
बस्तर में नक्सलियों के सफाए का अभियान जारी है, 15 वर्ष पहले ताड़मेटला की वारदात और पिछले 15 महीने मेंअलग-अलग मुठभेडों 400 से ज्यादा नक्सलियों के मारे जाने का नक्सली संगठन की स्वीकार्यता के बाद भयभीत बडें कैडर के नक्सली अपने गढ़ को छोड़कर भाग खड़े हुए हैं ।
अब बस्तर में सक्रिय नक्सल संगठन में कोई बड़ा नेतृत्व नहीं बचा है। नेतृत्व के अभाव में नक्सलियों के पीएलजीए कैडर के नक्सली लगातार आत्मसमर्पण कर रहे हैं।
जंगलों में भटक रहे निचले स्तर के लड़ाके जो आत्मसमर्पण नहीं कर पा रहे हैं, वे मुठभेड़ में मारे जा रहे हैं। पिछले डेढ वर्ष में बस्तर संभाग के सातों.जिलों में 800 से अधिक नक्सली आत्मसमर्पण कर चुके हैं।
अश्चर्य तो तब होता है, जब नक्सलियों के द्वारा झीरम कांड में कांग्रेस के 25 से अधिक नेताओं को नक्सलियों ने मौत की नींद सुला दिया था, इसके बाद भी कांग्रेस ने नक्सलियों के खात्में के लिए कोई कदम नहीं उठाया यदि कांग्रेस की सरकार, उस दौर में भी नक्सलियों के खात्में के लिए प्रयास करती तो आज बस्तर में नक्सलियों की इतनी बड़ी समस्या खड़ी ही नहीं होती।
नक्सली संगठन के जिस टेक्टिकल काउंटर अफेंसिव कैंपेन (टीसीओसी) माह में सुरक्षाबलों पर हमलाकर अपनी ताकत का अहसास करवाते थे, उसी टीसीओसी माह में स्वयं नक्सली सुरक्षाबलों के हांथों मारे जा रहे हैं। सुरक्षाबलों के आक्रमक अभियान में बचे बस्तर में आतंक का पर्याय रहे एक करोड़ के ईनामी हिड़मा, गणेश उइके और गुडसा उसेंडी जैसे बड़े लीडर आंध्र, तेलंगाना और ओडिशा भाग चुके हैं। इनसे नीचे के कैडर के बड़े नक्सली बीते 15 महीने में मारे गए हैं। बड़े कैडर के नक्सली, बचे-खुचे लड़ाकों को अपने हाल पर छोड़कर स्वयं अंडरग्राउंड हो चुके है।
सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार गणेश उइके उर्फ पी हनुमंता जो नक्सलियों के सैंट्रल कमेटी का सदस्य और दण्कारण्य स्पेशल जोनल कमेटी का इंचार्ज था, वह इस वक्त ओडिशा में सक्रिय है। वहां किसी सुरक्षित स्थान पर वह छिपा हुआ है। इसी तरह रमन्ना की मौत के बाद दण्कारण्य स्पेशल जोनल कमेटी में सचिव की जिम्मेदारी संभाल रहा केसीआर रेड्डी उर्फ वकील साहब तेलंगाना में कहीं छिपा हुआ है।
महाराष्ट्र का इंचार्ज नक्सली कोसा कभी अबूझमाड़ में बड़ा नाम था, वह अब महाराष्ट्र में सक्रिय है। गुडसा उसेंडी तेलगाना और एक करोड़ का ईनामी हिडमा के हैंदराबाद में होने की जानकारी सामने आ रही है। देवा बारसे, पारा राव और , दमोदर जैसे नक्सली अपनी जान बचाने अंडरग्राउण्ड हो गये हैं।
गौरतलब है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के अनुसार नक्सलवाद से अति प्रभावित जिलों की संख्या 12 से घटकर मात्र 6 रह गई है। इनमें छत्तीसगढ़ के 4 जिले बीजापुर, कांकेर, नारायणपुर और सुकमा और झारखंड का पश्चिमी सिंहभूम और महाराष्ट्र का गढ़चिरौली जिला नक्सल प्रभावित बचा है। सरकार ने मार्च 2026 तक इस समस्या से मुक्ति का लक्ष्य रखा है। छत्तीसगढ़ में लगातार ऑपरेशन से हालात यह है कि नक्सलियों का कैडर मामूली रह गया है, बड़े नक्सली नेता दूसरे राज्यों में जाकर छिप गए है, और मध्यम स्तर के नक्सली जंगलों में भटक रहे हैं।
उल्लेखनिय है कि नक्सली गर्मी में टेक्टिकल काउंटर अफेंसिव कैंपेन (टीसीओसी) चलाते हैं। इस दौरान जंगल में पतझड़ का मौसम होता है, जिससे दूर तक देख पाना संभव होता है। नदी-नाले सूखने के कारण एक जगह से दूसरी जगह जाना भी आसान होता है। नक्सली साल भर अपनी मांद में दुबककर साथियों की मौत, गिरफ्तारी और आत्मसमर्पण को चुपचाप देखते हैं।
बाद में टीसीओसी में पलटवार करते हैं। अभी उनका टीसीओसी का सीजन ही चल रहा है। इस दौरान उन्होंने नारायणपुर में ब्लास्ट कर पांच जवानों की हत्या की। तर्रेम में घात लगातार 22 जवानों की हत्या की। टीसीओसी के दौरान 15 मार्च 2008 को बीजापुर के रानीबोदली कैंप में हमला किया जिसमें 55 जवान शहीद हुए। 2013 में 25 मई को झीरम में कांग्रेस के काफिले पर हमला कर 31 लोगों की हत्या की। 2017 में 25 अप्रैल को सुकमा के बुरकापाल में सीआरपीएफ के 25 जवान शहीद हुए। 23 मार्च 2020 को मिनपा में 17 जवान शहीद हुए। यह सूची काफी लंबी है, इसी टीसीओसी के दौरान हुए ताड़मेटला की वारदात भयावह थी।
बस्तर आईजी सुदरराज पी का भी कहना है कि बस्तर में नक्सलियों का जनााधार खत्म हो गया हैं। जनता सुरक्षाबल के साथ हैं, वह बस्तर में विकास चाहती है। अंदरूनी इलाकों में सुरक्षा कैंप खुलने से नक्सलियों का सुरक्षित ठिकाना खत्म हो गया है। कई बड़े कैडर के नक्सली इसी खौफ से इलाका छोड़कर भाग गये हैं। जो बचे हैं, उनमें से भी कई अंडरग्राउंड हो चुके है। उन्होने कहा कि नक्सलियों को आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में शामिल होना होगा अन्यथा मरना होगा।


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